" फकत तुझे कुछ एहसास हो भी तो सही , मैंने खुद की बात तुझसे किस कदर की , ले चल ना सही मुझको तु अब अपने साथ , हमसफ़र अब तेरे साथ होना बात की बात है , अब मैं इन इरादो को तुझपे जाहिर कैसे करु अब भला , मुझे तेरे साथ मुसाफ़िर होना भी जायज लगेगा ." --- रबिन्द्र राम " फकत तुझे कुछ एहसास हो भी तो सही , मैंने खुद की बात तुझसे किस कदर की , ले चल ना सही मुझको तु अब अपने साथ , हमसफ़र अब तेरे साथ होना बात की बात है , अब मैं इन इरादो को तुझपे जाहिर कैसे करु अब भला , मुझे तेरे साथ मुसाफ़िर होना भी जायज लगेगा ." --- रबिन्द्र राम