निरंतर प्रयास और मन की शक्ति से ही, किसी भी मकान को बनाने मे पुरा योगदान निव का होता हैं क्योंकि वह मकान को बना भी सकती हे और उसे मिटा भी सकती है ठीक वैसे ही हमारे कर्म होते हैं वह हमें बना भी सकते हैं और वही हमें मिटा भी सकते हैं, इसांन जैसा कर्म करता है वैसा ही वह अपने जीवन में पाता है.. ©Sanjna Aarya