अपनी नज़र पे भी नादान कुछ नज़र रखो ये जाती है कहाँ-कहाँ ख़बर रखो मिल ही जाएगा नादान जो चाहता है तु ख़ुदा पे भरोसा ख़ुद में सबर रखो मुमकिन ही नहीं न आए अंधेरा जीवन में नादान चाहें साथ अपना सूरज अपना सहर रखो परेशान हो जाए नादान कोई फ़िकर से तेरी इतनी भी न किसी की फ़िकर रखो माना की मौत का कोई भरोसा नहीं' नादान अपने हाल का ख़याल मग़र रखो मिल ही जाएगी मंजिल किसी मोड़ पर नादान राह कैसी भी हो जारी अपना सफ़र रखो हाथों हाथ बिक जायेंगें यहाँ ग़म भी नादान ख़ुशी के कवर में इसे लपेट कर रखो होशियारी लाए हो नादान की महफ़िल में इसका यहाँ क्या काम इसे बा'हर रखो पाना चाहतें हो सुकून ज़मी पे जन्नत का नादान माँ के कदमों में तुम अपना सर रखो ©Ravi Gupta #gajal #ग़ज़ल #रविनादान #raviguptanojoto