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एक अनजान सफ़र हैं ज़िन्दगी हर मोङ पर मुख्त़लिफ अन्दा

एक अनजान सफ़र हैं ज़िन्दगी
हर मोङ पर मुख्त़लिफ अन्दाज यहाँ
बाहें खोले हुए यूँ मिलते हैं
जैसे समन्दर से मिल रही हो नदी
वक्त की उफनती ठहरती लहरें
अपने संग कई यादें बहा ले जाती हैं
कभी कभी जब दिल जज़्बाती हो जाए
तब वो लहरें पलकों से छलक आती हैं
अश्क़ो में उनका अक्स नज़र आता हैं
धुन्धली सी बस इक परछाई बन जाती हैं
एक खानाबदोश फितरत हैं ज़िन्दगी
रूकना इसने कभी सीखा नही
चलते रहने से ही ये ज़िन्दा हैं
ढेरो रंग बिखरे हैं इसके दामन में
कभी खुशीयों के सुनहरे अन्दाज
कभी ग़मो के सियाह लिबास
कहीं मुहब्बतों में डूबते मंज़र
कहीं वीरानीयों के सुलगते खंज़र
कभी दीवानगी में मचलता जूनून
कभी आवारगी में बसता सूकून
कहीं बन्दिशो का टूटता कहर
कहीं आज़ादी की होती सहर
कभी ख्यालो के मौसम सुहाने
कभी बैचैनीयों में भीगे फ़साने
अलहदा हैं सब रंग इसके
बिना जिनके ये अधूरी हैं
हर इक अन्दाज़ इसका बेहद ज़रूरी हैं
एक मुकम्मल एहसास हैं ज़िन्दगी 
हर कदम पर धङकते अल्फाज़ यहाँ
तारीफ इसकी अब यूँ करते हैं
जैसे कोई शायर लिख रहा हो गज़ल
एक अनजान सफ़र हैं ज़िन्दगी
हर मोङ पर मुख्त़लिफ अन्दाज यहाँ
बाहें खोले हुए यूँ मिलते हैं
जैसे समन्दर से मिल रही हो नदी
वक्त की उफनती ठहरती लहरें
अपने संग कई यादें बहा ले जाती हैं
कभी कभी जब दिल जज़्बाती हो जाए
तब वो लहरें पलकों से छलक आती हैं
अश्क़ो में उनका अक्स नज़र आता हैं
धुन्धली सी बस इक परछाई बन जाती हैं
एक खानाबदोश फितरत हैं ज़िन्दगी
रूकना इसने कभी सीखा नही
चलते रहने से ही ये ज़िन्दा हैं
ढेरो रंग बिखरे हैं इसके दामन में
कभी खुशीयों के सुनहरे अन्दाज
कभी ग़मो के सियाह लिबास
कहीं मुहब्बतों में डूबते मंज़र
कहीं वीरानीयों के सुलगते खंज़र
कभी दीवानगी में मचलता जूनून
कभी आवारगी में बसता सूकून
कहीं बन्दिशो का टूटता कहर
कहीं आज़ादी की होती सहर
कभी ख्यालो के मौसम सुहाने
कभी बैचैनीयों में भीगे फ़साने
अलहदा हैं सब रंग इसके
बिना जिनके ये अधूरी हैं
हर इक अन्दाज़ इसका बेहद ज़रूरी हैं
एक मुकम्मल एहसास हैं ज़िन्दगी 
हर कदम पर धङकते अल्फाज़ यहाँ
तारीफ इसकी अब यूँ करते हैं
जैसे कोई शायर लिख रहा हो गज़ल
neilpatel5378

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