_______________________________________________________ मेरा भय ही सदैव मेरी अज्ञानता का कारण बना रहा और इस तरह मेरी अज्ञातना मुझे भय की ओर और ज्यादा धकेलती रही. परन्तु मैंने जाना साक्षात् अपने भय का आलिंगन कर लेने से ज्ञान के अंकुर मस्तिष्क में फूट पड़ते हैं और अंधकार रूपी भय स्वतः हट जाता है. भय केवल और केवल कल्पना मात्र है, आभासी है. जब तक हम अपने मन के प्रताप से अनभिज्ञ रहते हैं यह हमें केवल तब तक ही जकड़ता है. आवश्यक है मेरे द्वारा अपने भीतर एक ऐसे ज्योतिरपुंज की स्थापना करना जिसके तेज से मेरे ह्रदय में सत्य स्थान ले और मेरा परिचय वास्तविकता (वर्तमान) से हो पाए. ©अल्प ________________________________________________________ #anintrovertsdiary