" मैं तुझे बेहिसाब सा लिखुं तहरीर पे मेरे , कभी दुर कभी और पास सा लिखुं अल्फाज़ मेरे , बज़्म ख़्यालो का अब जो भी हो जैसे भी हो , मैं मुन्तजिर रहुगा तेरा ये बात कुछ जायज ठहरा मेरे . " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram " मैं तुझे बेहिसाब सा लिखुं तहरीर पे मेरे , कभी दुर कभी और पास सा लिखुं अल्फाज़ मेरे , बज़्म ख़्यालो का अब जो भी हो जैसे भी हो , मैं मुन्तजिर रहुगा तेरा ये बात कुछ जायज ठहरा मेरे . " --- रबिन्द्र राम #बेहिसाब #तहरीर #अल्फाज़ #बज़्म #ख़्यालो #मुन्तजिर #जायज