मैं नहीं होती नाराज़! हां, इसमें कोई बड़प्पन नहीं। असल में मुझमें वो झुंझलाहट ही नहीं आती, वो खीझ नहीं जगती कि उकता जाऊं जो हो रहा है उससे, या जो नहीं हुआ उसकी वजह से। ग़लती समझ आती जहां, वहीं माफ़ी मांगी तो सबको लगता इतनी जल्दी कौन माफी मांगता है...!