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सोचा नहीं था ऐसा करेंगे अपने देश के लोग, अकेली मैं

सोचा नहीं था ऐसा करेंगे अपने देश के लोग,
अकेली मैं जो मिलूं तो यह मुझे देते हैं नोच।
महाराणा प्रताप के देश में,
प्रताप की आस रखना छोड़ दिया,
हर कोई रावण बना बैठा है,
नारी का सम्मान करना छोड़ दिया।

जब मुगलों की बैगमें अमर सिंह उठा ले आया,
प्रताप ने माफी मांगी सम्मान-से वापस पहुंचाया।।   
आज करे कोई अमर सिंह सा काम,
उसका पिता प्रताप ना बन पाएगा।
पिता पूर्ण पक्ष लेगा अपने पुत्र की,
मुझे छूड़वाना वह भी नहीं चाहेगा।
✍️जसवन्त सिंह भाटी

©poet jaswant singh
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