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ऐसे रूठो न नंदलाला मोरे फेरो न अंखियां। राह निहारे

ऐसे रूठो न नंदलाला मोरे
फेरो न अंखियां।
राह निहारे तोरी।
पनघट पर गोपियां।
भोर भई खग पंछी वृंद।
तोरी नाम की
मधुर रग सुनावे।
रूठे कबतक रहोगे
नंदलाल
माखन भोग लगाऊं
ऐसे रूठो न,,
ऐसे रूठो न नंदलाला मोरे
फेरो न अंखियां।
राह निहारे तोरी।
पनघट पर गोपियां।
भोर भई खग पंछी वृंद।
तोरी नाम की
मधुर रग सुनावे।
रूठे कबतक रहोगे
नंदलाल
माखन भोग लगाऊं
ऐसे रूठो न,,