सर्द हवाओं में तेरे ख़याल आता रहा, आँखों में तैरता चेहरा कई सवाल लाता रहा। जिसे हक़ीक़त समझते रहे वो वहम निकला, वीरान जिंदगी में गर्दिशों का एक और साल जाता रहा। उसकी रफ़ाक़तों में बस हिज़्र ही मिला, अमावस की रात थी फिर भी चाँद बादलों में आता रहा। रफ़ाक़त- साहचर्य, दोस्ती, कंपनी हिज़्र-वियोग,विरह,जुदाई 🎀 Challenge-236 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है। 🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है।