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आज-कल की हसीनाएं लगा कर आग सिने में, वो जुल्फें ल

आज-कल की हसीनाएं

लगा कर आग सिने में, वो जुल्फें लहरा कर चलते  हैं,
इज़हार-ए-इश्क़  जो करदे कोई, तो ऐतराज़ करते हैं।

निगाहों   से   अपनें   वो,  लोगों    को   घायल   करते  हैं, 
बनाकर मरीज-ए-इश्क लोगों को,ख़ुद ही इलाज़ करते हैं।

कमर मटका कर वो अपना, दुपट्टा लहरा कर चलते  हैं,
लोगों  को  पागल करने का,  ख़ुद ही तरक़ीब करते हैं।

कोई पागल जो  हो जाएतो, ख़ुद पागलखाने  साथ  चलते हैं, 
एक  नज़र  देखे जो कोई  उनको तो, आँखों से वार करते हैं।

देख कर लोगों को, वो खुद ही मुस्कुरा  कर  चलते हैं,
कोई उन्हें  देख कर  मुस्कुरादे  तो,  एतराज़ करते  हैं।

आवारगी ख़ुद वो करते हैं  और  लोगों को  आवारा कहते हैं,
तमीज़ ख़ुद  नहीं उनको, और  लोगों को  बत्तमीज़ कहते हैं।

इन हसीनाओं का भी जबाव नहीं, गुनाह ख़ुद वो करते हैं,
और  बेकशूर-बेगुनाह   लोगों को  ही  गुनहगार  कहते हैं।

                                                 #nojotoghajal #nojotoshayri #nojotopoetry #hasinayein #nojotowriter #jitenrawat 
#jitendrakumarrawat
आज-कल की हसीनाएं

लगा कर आग सिने में, वो जुल्फें लहरा कर चलते  हैं,
इज़हार-ए-इश्क़  जो करदे कोई, तो ऐतराज़ करते हैं।

निगाहों   से   अपनें   वो,  लोगों    को   घायल   करते  हैं, 
बनाकर मरीज-ए-इश्क लोगों को,ख़ुद ही इलाज़ करते हैं।

कमर मटका कर वो अपना, दुपट्टा लहरा कर चलते  हैं,
लोगों  को  पागल करने का,  ख़ुद ही तरक़ीब करते हैं।

कोई पागल जो  हो जाएतो, ख़ुद पागलखाने  साथ  चलते हैं, 
एक  नज़र  देखे जो कोई  उनको तो, आँखों से वार करते हैं।

देख कर लोगों को, वो खुद ही मुस्कुरा  कर  चलते हैं,
कोई उन्हें  देख कर  मुस्कुरादे  तो,  एतराज़ करते  हैं।

आवारगी ख़ुद वो करते हैं  और  लोगों को  आवारा कहते हैं,
तमीज़ ख़ुद  नहीं उनको, और  लोगों को  बत्तमीज़ कहते हैं।

इन हसीनाओं का भी जबाव नहीं, गुनाह ख़ुद वो करते हैं,
और  बेकशूर-बेगुनाह   लोगों को  ही  गुनहगार  कहते हैं।

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