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चहूं और फैली खुशियां, अखबारों ने बटोरी अपनी सुर्खि

चहूं और फैली खुशियां,
अखबारों ने बटोरी अपनी सुर्खियां.
मार गिराया उन दरिंदों को,
शर्मसार किया था जिसने समाज को.
कोई मुझको ये दे बतला,
क्या मिली उनको करनी की सजा.
हाँ माना मैंने, मार गिरा आया तूने,
लहू लुहान कर आया आज तूने.
मग़र ये बता, छलनी किसको कर आया,
आबरू लूटी जिसने या क़ैद से तेरे जो भाग आया.
भागते के पीठ पर तूने है चलाई गोलियां,
सीने को कर छलनी गर तूने खेली होती होली.
हाँ ख़ुश हूँ मैं, कि आज एक हैवान गया,
मग़र बता इंसांफ़ कहाँ है आया.
इंसांफ़ की गलियों में तू उसको लाया होता,
न्यायलय के चौखट तक आया होता.
आंखों में उसके पानी आता,
दिल में उसके भय समाता.
मन में संसय, मौत का मंजर हर पल आता,
अपनी कर्मों का फल फ़िर उसको नज़र आता.
फ़ैसला काश कुछ यूं होता,
सज़ा एक को, भय हर दरिंदे को होता.

©avinashjha #insaaf #myownopinion
चहूं और फैली खुशियां,
अखबारों ने बटोरी अपनी सुर्खियां.
मार गिराया उन दरिंदों को,
शर्मसार किया था जिसने समाज को.
कोई मुझको ये दे बतला,
क्या मिली उनको करनी की सजा.
हाँ माना मैंने, मार गिरा आया तूने,
लहू लुहान कर आया आज तूने.
मग़र ये बता, छलनी किसको कर आया,
आबरू लूटी जिसने या क़ैद से तेरे जो भाग आया.
भागते के पीठ पर तूने है चलाई गोलियां,
सीने को कर छलनी गर तूने खेली होती होली.
हाँ ख़ुश हूँ मैं, कि आज एक हैवान गया,
मग़र बता इंसांफ़ कहाँ है आया.
इंसांफ़ की गलियों में तू उसको लाया होता,
न्यायलय के चौखट तक आया होता.
आंखों में उसके पानी आता,
दिल में उसके भय समाता.
मन में संसय, मौत का मंजर हर पल आता,
अपनी कर्मों का फल फ़िर उसको नज़र आता.
फ़ैसला काश कुछ यूं होता,
सज़ा एक को, भय हर दरिंदे को होता.

©avinashjha #insaaf #myownopinion
avinashjha8117

Avinash Jha

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