हर जिले में वृद्ध आश्रम बुर्ज को दी जाने वाली पेंशन और पुरुषों के लिए चलाई जाने वाली कल्याणकारी योजना के बारे में जानकारी उपलब्ध कराई जाए इसमें कोई संदेह नहीं है कि गांव में आज भी संयुक्त परिवार का प्रचलन है और बुढ़ापे में पुरुषों की देखभाल की जाती है गांव के बच्चे आज भी गुरु की इज्जत करते हैं जबकि शहर और महानगरों की संस्कृति में ऐसा कुछ नहीं है यहां तो पेरेंट्स तभी तक पेमेंट स्केल आते हैं जब तक वह संतान को रेंट पर खर्च पानी देते रहते हैं जिस दिन संतान से खर्च पानी मांगने लगते हैं मैं बिखर जाते हैं और टूट जाते हैं उनके स्वाभिमान मर जाते हैं आजकल की पीढ़ी के कुछ बच्चे ही मुर्दों की देखभाल करते अनर्थ अधिकतर ज्यादा पढ़े लिखे तो मुर्दों की अनदेखी ही करते हैं करोड़ों लोग जिंदगी भर मजदूरी करती है दुकान में नौकरी कर कर बच्चा का भरण-पोषण करते हैं और अपने बुढ़ापे के लिए कुछ बचत नहीं कर पाते इनका देश की आर्थिक नीति में कोई जिक्र नहीं होता यह आर्थिक रूप से पिछड़े लोग बुढ़ापे में एक पैसे के लिए मोहताज हो जाते हैं ©Ek villain #बुढ़ापे में भी ख्याल रखिए अपने माता-पिता का #mentalhealthday