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हमारा है नहीं क्या खूब है मौसम का मिजाज मगर उसके

हमारा है नहीं

क्या खूब है मौसम का मिजाज मगर
उसके अदाओं सा कोई नजारा है नहीं

उसकी एक झलक को फिरता हूं मारा- मारा
मुझ सा कोई दुखियारा है नहीं

अब कोई सहारा है नहीं
क्या तुझसे कोई छुटकारा है नहीं

तेरा गैर हो जाना मंजूर मगर
गैर का हो जाना गवारा है नहीं

तुझसे दुश्मनी उम्र भर की मगर
तुझ सा भी कोई प्यारा है नहीं

अब तुझे सोचना भी क्यो
जो तू अब हमारा है नहीं...!!! हमारा
हमारा है नहीं

क्या खूब है मौसम का मिजाज मगर
उसके अदाओं सा कोई नजारा है नहीं

उसकी एक झलक को फिरता हूं मारा- मारा
मुझ सा कोई दुखियारा है नहीं

अब कोई सहारा है नहीं
क्या तुझसे कोई छुटकारा है नहीं

तेरा गैर हो जाना मंजूर मगर
गैर का हो जाना गवारा है नहीं

तुझसे दुश्मनी उम्र भर की मगर
तुझ सा भी कोई प्यारा है नहीं

अब तुझे सोचना भी क्यो
जो तू अब हमारा है नहीं...!!! हमारा