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कल की चूक का सबसे भयावह मंजर फिर कल होगा जिस कल

कल की चूक का 
सबसे भयावह मंजर 
फिर कल होगा
जिस कल की शाम 
कहीं, किसी रोज, किसी नए आशियां की मुंडेर पे
 आराम कुर्सी पर मै बैठ 
 अध पके बालों और कंधे पर शाल के साथ 
 उस आसमां को निहारता होऊंगा
और एकाएक
तुम्हारे खून का अंश और तुम्हारे वंश का दूसरा चिराग 
मुझसे
 तुमसे जुड़ी कोई चीज मांगेगा
 फिर जिद करेगा तुम्हारे संस्कारों की दुहाई देकर 
 तुमसे जुड़ी हर एक चीज को प्रत्यक्ष दिखाने को 
 और मेरे पास होंगे 
 उसे क्षड़ दिखाने को 
  दो शब्द चंद आंसू 
 और एक तुम्हारी तस्वीर 
 फिर गहराता हुआ सन्नाटा और 
 अथाह अफसोस का सागर होगा 
 फिर भर्राई सी आवाज में 
 उन सभी यादों को
 चंद कागज के टुकड़ों में बेच देने का 
कथोराघात यूं ही उभर आएगा।
फिर वो पुराना आशियां भी याद आएगा 
और मैं फिर उस भयावह मंजर को
खुद में देखता होऊंगा इक अफसोस
कल की चूक का 
सबसे भयावह मंजर 
फिर कल होगा
जिस कल की शाम 
कहीं, किसी रोज, किसी नए आशियां की मुंडेर पे
 आराम कुर्सी पर मै बैठ 
 अध पके बालों और कंधे पर शाल के साथ 
 उस आसमां को निहारता होऊंगा
और एकाएक
तुम्हारे खून का अंश और तुम्हारे वंश का दूसरा चिराग 
मुझसे
 तुमसे जुड़ी कोई चीज मांगेगा
 फिर जिद करेगा तुम्हारे संस्कारों की दुहाई देकर 
 तुमसे जुड़ी हर एक चीज को प्रत्यक्ष दिखाने को 
 और मेरे पास होंगे 
 उसे क्षड़ दिखाने को 
  दो शब्द चंद आंसू 
 और एक तुम्हारी तस्वीर 
 फिर गहराता हुआ सन्नाटा और 
 अथाह अफसोस का सागर होगा 
 फिर भर्राई सी आवाज में 
 उन सभी यादों को
 चंद कागज के टुकड़ों में बेच देने का 
कथोराघात यूं ही उभर आएगा।
फिर वो पुराना आशियां भी याद आएगा 
और मैं फिर उस भयावह मंजर को
खुद में देखता होऊंगा इक अफसोस
shivamverma2677

Shivam Verma

New Creator