सुबह _सुबह जब स्कूल के लेने के लिए निकली............. धूप तेज थी छाता निकाला और बढ़ चली सड़क पर सड़क पर... पर न ही बस आई और ना ही कुछ और मिली...... मैं परेशान पसीने से तर, उलझे बाल, दुपट्टा संभालते बेहाल, उफ ..............कितनी गर्मी घड़ी का कांटा बराबर यह बता रहा था कि..... उसी वक्त एक हवा का झोंका आया...... साथ ही एक लाल रंग की कार आकर रुकी एक गंभीर आवाज आई.... चलो मैं छोड़ दूं आपको , मैं पशोपेश में थी, पर कोई उपाय न था.... कार चल पड़ी उस ओर जहां फूलों की वादियां थी.. बर्फ सी ठंडी हवा तन _मन को सुकून दे रही थी............ अजनबी कुछ नहीं बोला सारी रास्ते.... बस देखता रहा ,देखता रहा ,जैसे सदियों से जानता हो....... कार में मधुर संगीत बजती रही. तुम अगर साथ देने का वादा करो.......... इतने में पति ने आवाज दी अब उठो भी, स्कूल नहीं जाना, चाय तो बनाओ...... issssss........... फिर सारा दिन कानों में यह गाना गूंजता रहा देखो मैंने देखा है एक सपना फूलों के शहर में है घर अपना #सारिका ©Sarika Das #sunflower