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पतंग यूँ उड़ी मेरे दिल की पतंग तेरे प्यार के माँझे

पतंग यूँ उड़ी

मेरे दिल की पतंग तेरे प्यार के माँझे संग आसमान में उड़ गई।
टूटेगी ना अब ये मेरे दिल की डोर जो तुम्हारे दिल से जुड़ गई।

कोई माने न माने अब मैं तेरी हीर और तू मेरा राँझा बन गया,
ना टूटेगी ना छूटेगी अब ये दिल की लगी जो तुमसे लग गई।

हमारे प्यार की पतंग यूँ उड़ी सारा जहाँ खुशियों से भर गया,
न काट पायेगा कोई दूजा इसे यह हमारे विश्वास से बंध गई।

प्रेम का इक तारा संग- संग दोनों के दिल में बजने लग गया,
पता ही ना चला हम दोनों को कब तू मेरा और मैं तेरी हो गई

मैं तेरे दिल की धड़कन और तू मेरे दिल की धड़कन बन गया,
बंधी साँसो से साँसों की डोरी दिल की धड़कन भी एक हो गई। काव्य-ॲंजुरी✍️ विशिष्ट प्रतियोगिता में आपका स्वागत है।

काव्य-ॲंजुरी✍️ आज एक विशिष्ट प्रतियोगिता आयोजित कर रहा है।

नियम :-

1.आपको दिए गए विषयों में से किसी एक पर रचना लिखनी है :
   i.   पतंग यूॅं उड़ी
पतंग यूँ उड़ी

मेरे दिल की पतंग तेरे प्यार के माँझे संग आसमान में उड़ गई।
टूटेगी ना अब ये मेरे दिल की डोर जो तुम्हारे दिल से जुड़ गई।

कोई माने न माने अब मैं तेरी हीर और तू मेरा राँझा बन गया,
ना टूटेगी ना छूटेगी अब ये दिल की लगी जो तुमसे लग गई।

हमारे प्यार की पतंग यूँ उड़ी सारा जहाँ खुशियों से भर गया,
न काट पायेगा कोई दूजा इसे यह हमारे विश्वास से बंध गई।

प्रेम का इक तारा संग- संग दोनों के दिल में बजने लग गया,
पता ही ना चला हम दोनों को कब तू मेरा और मैं तेरी हो गई

मैं तेरे दिल की धड़कन और तू मेरे दिल की धड़कन बन गया,
बंधी साँसो से साँसों की डोरी दिल की धड़कन भी एक हो गई। काव्य-ॲंजुरी✍️ विशिष्ट प्रतियोगिता में आपका स्वागत है।

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नियम :-

1.आपको दिए गए विषयों में से किसी एक पर रचना लिखनी है :
   i.   पतंग यूॅं उड़ी