मिथला के धाम टुटले मरिया उग गेल चांद कहेंन सुंदर मिथिला धाम कु कु कोयली कुह के केहन सुंदर मथिला धाम यो तुलसी के चोरा छीटा में धान मिश्री से मिठगर मेथलिक गाम टुटली मरैया उग गेल चाँद केहेन सोहंगर मिथला धाम। ,, ,,,,, बहुत सुंदर रचना हैं मैथिला धाम जितना याद था उतना ही लिख पाए ,,,,, दीपिका ,,,, मिथिला धाम जय हो मिथिला धाम