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पापा का सहारा (श्रध्दांजलि) यूँ तो इस जग के सारे द

पापा का सहारा (श्रध्दांजलि)
यूँ तो इस जग के सारे दुःख हम हँस कर 
सह लेती हैं विकट से विकट परिस्थित
 का सामना भी हम कर लेती हैं,
मगर जब याद आपकी आती है तो शीशे 
सी टूट कर बिखर जाती है,रूकते नहीं 
आँसू हमारे जब तकलीफ हद से ज्यादा
बढ़ जाती है,अक्सर छुप कर रोया करती 
है माँ से फिर उनकी हमको रोता देख बढ़ 
जाती है,आप हमेशा हमारा साया बन 
हर तकलीफ से बचाते रहे,आज 
अकेलापन अखरता है पापा कोई 
आपकी बिटिया के जज़्बात को 
समझता नहीं,लौट आओ फिर एक 
दफा पापा आपकी बेटी आपको बुलाती 
है,थक गई हम पापा इस जीवन से,
आपकी बिटिया फिर से आपका सहारा 
चाहती है, 🙏🌹Dedicated to my papa🙏🌹
हमारे पापा को समर्पित एक छोटी सी कविता..
पापा का सहारा-भावभीनी -श्रद्धांजलि🙏
 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
आज हमारे पापा की पुण्यतिथि है इस दिन हमारे पापा का साया हमसे जुदा हुआ, सफ़र तन्हा लम्बी जिन्दगी छोटी सी उम्र में संघर्षों से सामना कर रहीं हम,बिखर गया परिवार हमारा आज के दिन नहीं भूलती वो काली रात 25 दिसंबर की मानों जिन्दगी का हमारी रास्ता खो गया।
परिवार पर हमारे जब टूटा पहाड़ दुःखों का।
कैसे करें हम बयां अल्फाज़ नहीं उन्हीं जख्मों से आज भी हम गुजर रही।
एक भाव-भीनी श्रद्धांजली हम अ
पापा का सहारा (श्रध्दांजलि)
यूँ तो इस जग के सारे दुःख हम हँस कर 
सह लेती हैं विकट से विकट परिस्थित
 का सामना भी हम कर लेती हैं,
मगर जब याद आपकी आती है तो शीशे 
सी टूट कर बिखर जाती है,रूकते नहीं 
आँसू हमारे जब तकलीफ हद से ज्यादा
बढ़ जाती है,अक्सर छुप कर रोया करती 
है माँ से फिर उनकी हमको रोता देख बढ़ 
जाती है,आप हमेशा हमारा साया बन 
हर तकलीफ से बचाते रहे,आज 
अकेलापन अखरता है पापा कोई 
आपकी बिटिया के जज़्बात को 
समझता नहीं,लौट आओ फिर एक 
दफा पापा आपकी बेटी आपको बुलाती 
है,थक गई हम पापा इस जीवन से,
आपकी बिटिया फिर से आपका सहारा 
चाहती है, 🙏🌹Dedicated to my papa🙏🌹
हमारे पापा को समर्पित एक छोटी सी कविता..
पापा का सहारा-भावभीनी -श्रद्धांजलि🙏
 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
आज हमारे पापा की पुण्यतिथि है इस दिन हमारे पापा का साया हमसे जुदा हुआ, सफ़र तन्हा लम्बी जिन्दगी छोटी सी उम्र में संघर्षों से सामना कर रहीं हम,बिखर गया परिवार हमारा आज के दिन नहीं भूलती वो काली रात 25 दिसंबर की मानों जिन्दगी का हमारी रास्ता खो गया।
परिवार पर हमारे जब टूटा पहाड़ दुःखों का।
कैसे करें हम बयां अल्फाज़ नहीं उन्हीं जख्मों से आज भी हम गुजर रही।
एक भाव-भीनी श्रद्धांजली हम अ
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