भले ही लड़ लेना, झगड़ लेना पिट जाना या फिर पीट देना मगर कभी बोलचाल बंद मत करना क्योंकि बोलचाल के बंद होते ही सुलह के सारे दरवाजे बंद हो जाते हैं. – jitna ho sake utna matter suljhana chaiye