Nojoto: Largest Storytelling Platform

सांध्य को मैं रह न सकूंगी एक मित्र न बुलवाया है कु

सांध्य को मैं रह न सकूंगी एक मित्र न बुलवाया है कुछ विरोध मैं कह न सकूंगी विद्यापति का फिल्म आया है हमें दोनों को
 वो भाया है दुख होगा अगर साथ न जाऊं जिस दुख को मैं सह न सकूंगी मैं तो हूंगी शीघ्र रवाना आज बना लेना तुम खाना 
आज रसोई की धारा में प्रियतम मैं तो 
बह न सकूंगी... -बेढब बनारसी

©VED PRAKASH 73
  #उस्तरा