#NationalEducationDay मेरी गली का वो बच्चा, जिसे सब कहते हैं छोटू। खिलौनों से खेलने की उम्र में, रोज़ सुबह घर घर जाकर, सबकी गाड़ियाँ चमकता है। दोपहर तक नुक्कड़ वाली, चाय की दुकान पर पकौड़े भी बनाता है। एक दिन किसी ने यूं ही सवाल किया, "छोटू तू स्कूल क्यों नहीं जाता?" यह सुनकर छोटू हँसकर बोला, "मैं स्कूल जाता तो, आपको यह पकौड़े कौन खिलता?" उसकी हंसी में एक दर्द था, जो शायद किसी ने न देखा। पैसे कमाने की मजबूरी में, छोटू ने अपने बचपन को है खोया। वो अकेला नहीं उसके जैसे हैं हज़ारों, देखकर भी अनदेखा करते है उन्हें ना जाने क्यों? क्या कोई है जो सुने इन बच्चों की मन की बात, खेलता पढ़ता बचपन हो इनका, पैसे की दौड़ में न गुज़रे इनके दिन और रात। On the occasion of Children's Day here's a little poem