रात यूहीं गुजरती रही, लम्हें फिर भी ठहर गये, आंखो में बची थी जो हया, मोम बनकर पिघल गयी, रोज़ के शोर में, ख़ामोश आंधी दुबक गयी, हम तो जिंदा रहे, मर्यादा हमारी मर गयी, #रात #हया #मौत #nojoto #life #love #shashankdwivedi #shashankdwivediquotes #poem