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दीमक दीमक चट कर गई मेहनत को मेरी जिसमें संग्रह थी

दीमक

दीमक चट कर गई
मेहनत को मेरी
जिसमें संग्रह थी की गयीं
वो डायरी थीं मेरी
मिट्टी का पुलिंदा बना
सब खा गई डायरी मेरी
एक भी पन्ना न बचा
ऐसी किस्मत मेरी
कभी सोचा न था मैंने
ऐसा होगा कभी
सुरक्षित रखी थी मैनें
शीशे में बंद डायरी
विचार बना जब लिखने को
निकालने को हुआ डायरी
ऐसा झटका लगा जिया को
शुध – बुध खो गई मेरी
याद आते हैं पल वो
जब रची थी कविता मेरी
सोचा था नेट पे डालने को
पर बहुत हो गई देरी
कैसी – कैसी कविता मैनें
रची थी जीवन में मेरी
धोखा खाया ऐसा मैनें
की दीमक खा गयीं डायरी मेरी
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देवेश दीक्षित

©Devesh Dixit 
  #दीमक #nojotohindi

दीमक

दीमक चट कर गई
मेहनत को मेरी
जिसमें संग्रह थी की गयीं
वो डायरी थीं मेरी
deveshdixit4847

Devesh Dixit

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