स्मृतियों के झंझावतों से जब जब मन सम्मुख हुआ, कुछ बोझिल यादों के बादल यूं सहसा ही घेर लिया | आत्मचिंतन - मनन से बस पछतावा ही हाथ लगा, जाने किस अगम्य तृष्णा में मन हरदम ये पथिक रहा || Everything is fine at my end . I wrote this quote long ago & not posted, still needs editing but anyway my yq friends are calling me so badly so here i finally uploaded, now bear with it. विशेष आभार Mr. Raunak Shandilya & Miss अनवरत ma'am का जो निरंतर मुझे प्रेरित करते रहें कुछ लिखने के लिए. 💓💓 #yqhindi #yqlife #deardiary #justlifethings #writing #yqthoughts #randomone