मुझे है,काम ईश्वर से, जगत रूठे तो रूठन दे मुझे है,काम ईश्वर से, जगत रूठे तो रूठन दे | कुटुम्ब परिवार सुत दारा, माल धन लाज लोकन की | हरि के भजन करने से, अगर छूटे तो छूटन दे || (१) बैठ संगत में संतन की, करूँ कल्याण में अपना | लोग दुनिया के भोगों में, मौज लूटे तो लूटन दे || (२) प्रभु का ध्यान धरने की, लगी दिल में लगन मेरे | प्रीत संसार-विषयों से, अगर टूटे तो टूटन दे ||(३) धरी सिर पाप की मटकी, मेरे गुरुदेव ने झटकी | वो "ब्रह्मानंद" ने पटकी, अगर फूटे तो फूटन दे ||(४) भजन by ब्रह्मानंद