उसके जिस्म से कम औकात के कपड़े लाएं हैं उसका जन्मदिन है जज़्बात के कपड़ों लाए हैं मज़हब की पाबंदियां हट क्यु नहीं जाती सच तो ये है उसके बारात के कपड़े लाएं हैं।