होता था एक खुला आसमान, वृहद आसमान.. शाम होते ही जहाँ लहराती थीं रंग बिरंगी पतंगें.. और मांजे पर पकड़ लिए, आंखों में चमक लिए, चहकता बचपन.. घर की मुँडेरों पर, किसी की पतंग काट, खुद की बचाते, कभी कई मुंडेर फांद , कटी पतंग छीनने का जश्न मनाते.. तब होता था हर घर में एक मुंडेर, जीवित मुंडेर.. और हर बच्चे का होता था एक बचपन, खुशहाल बचपन । #yqdidi #मुंडेर #बचपन #पतंग