मैं मंदिर का दिया भी हूँ और जंगल की आग भी मैं सावन की बारिश भी हूँ और क्रोध में बहती बाड़ भी मैं कीचड़ में खिला फूल भी हूँ और कांटो से घिरा गुलाब भी मैं नज़र झुकाती लाज भी हूँ और मनमर्ज़ी से खिलखिलाती तो दाग भी मैं घर आंगन की साज भी हूँ और कदम रखु गर बाहर तो स्वाभिमानी चालबाज़ भी मैं लिपटी खूबसूरत परिधान भी हूँ और छोटे कपड़ो में हिंन चरित्र का परिमाण भी मैं भगवान की अद्भुत रचना नारीजात भी हूँ और तार तार सौन्दर्य मेरा ऐसी बत्तजात भी Priyanka #nari