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सत्यपाल और सैफुद्दीन,थे कितने उस दिन गमगीन निहत्थे

सत्यपाल और सैफुद्दीन,थे कितने उस दिन गमगीन
निहत्थे भारतवासियों को कैसे मारा गया निर्ममता से
डायर ने किया था जुल्म कितना संगीन
1919की बात है प्यारे,दिन था 13अप्रैल
जालियां वाला बाग थी वो जगह ,जुटे थे जहां हजारों भारतवासी
शांतिपूर्ण प्रदर्शन करना था अंग्रेजों के खिलाफ
मुद्दा था क्यों कैद कर लिया गोरों ने सत्यपाल और सैफुद्दीन सा साहसी
डायर था अहंकार और गुस्से में 
और बन बैठा वो इंसानियत का गुनहगार इस किस्से में
धनाधन गोलियां बरसा दीं 
न चेतावनी ना भागने को जगह दी
द्वार बंद थे,अंदर स्त्री और बच्चे सब थे
मिट्टी का रंग उस दिन रक्त से लाल हुआ था
मातृभूमि का सीना लहूलुहान हुआ था
मातम पसरा था पूरे संसार में
रूह कांप गई थी उन हवाओं और फिजाओं की भी
जिसने भी वो मंजर सुना था
कैसे बतायें सबने कितना बलिदान किया था
कितनी दर्द भरी है ये कहानी
क्या समझ पाए अब भी कैसे मिली थी आज़ादी
✍️निरूपा कुमारी

©Nirupa Kumari
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