जहर भरा है दिल मे सब के मूह से लेकिन सहद ही टपकता है, हर किसी को ये मालूम है जग मे नही कभी बादल भी, बिन कारण गरजता है! Continued Below..... अंदर कुछ और बाहर कुछ और दुनियादारि बस ऐसे ही चलता है, बेचा जाता याहा ईश्वर तक खुलेआम फिर भी जीना किसी को नही खलता है!! मरे कोई या राख बन जाए किसी को कुछ भी परवाह नही है, मिट्टी मे मिले कोई खाक बन जाए