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गुलाब जल रहा है देखो क्या हो रहा है, गुलाब जल रहा

गुलाब जल रहा है

देखो क्या हो रहा है, गुलाब जल रहा है,
देश मै मंहगाई की हाहाकार मची है
मै लिख  रहा हु,जो क्या  घटना यह सच्ची है?
मुझे कुछ नजर आ रहा है देखो गुलाब जल  रहा है,

किसान सड़को में कुचल दिया जा रहा है,
 मजदूर का शोषण किया जा रहा है,
है जिनका हाल अच्छा उनका ही मुनाफा किया जा रहा है
देखो इस देश में गरीब छला जा रहा है,

तपती धूप मै वो खेतो मै काम कर रहा है, 
उगाकर अन्न देश का पेट वो पाल रहा है, 
देखो वेदना से हृदय उसका जला जा रहा है,
हाल क्या है मालूम नही, पर गरीब छला जा रहा है,

गुलाब का लाल रंग लह रहा है, मजदूर पर पूंजीपति हावी हो रहा है,
चूसकर रंग खाद का अशिष्ट ,रंग उसका लाल हो रहा है 
देखो गुलाब जल रहा है, 

कारखाना  , हो चाहे फाटक मजाक उसका  उड़ाया जा रहा है,
बड़े बड़े उद्योगपतियों का कर्जा माफ किया जा रहा है,
देखो देश में ये क्या हो रहा है,
किसान की ना कर परवाह उसे गुलाम बनाया जा रहा है,
देखो किसान रो रहा है,
फैलाकर हाथ तेरे समक्ष, कुछ तुझसे मांग रहा है ,
देखो देखो धीरे धीरे गुलाब जल रहा है,
             


                           सुभाष सी. शर्मा

©Subhash.C.sharma गुलाब जल रहा है

देखो क्या हो रहा है, गुलाब जल रहा है,
देश मै मंहगाई की हाहाकार मची है
मै लिख  रहा हु,जो क्या  घटना यह सच्ची है?
मुझे कुछ नजर आ रहा है देखो गुलाब जल  रहा है,

किसान सड़को में कुचल दिया जा रहा है,
गुलाब जल रहा है

देखो क्या हो रहा है, गुलाब जल रहा है,
देश मै मंहगाई की हाहाकार मची है
मै लिख  रहा हु,जो क्या  घटना यह सच्ची है?
मुझे कुछ नजर आ रहा है देखो गुलाब जल  रहा है,

किसान सड़को में कुचल दिया जा रहा है,
 मजदूर का शोषण किया जा रहा है,
है जिनका हाल अच्छा उनका ही मुनाफा किया जा रहा है
देखो इस देश में गरीब छला जा रहा है,

तपती धूप मै वो खेतो मै काम कर रहा है, 
उगाकर अन्न देश का पेट वो पाल रहा है, 
देखो वेदना से हृदय उसका जला जा रहा है,
हाल क्या है मालूम नही, पर गरीब छला जा रहा है,

गुलाब का लाल रंग लह रहा है, मजदूर पर पूंजीपति हावी हो रहा है,
चूसकर रंग खाद का अशिष्ट ,रंग उसका लाल हो रहा है 
देखो गुलाब जल रहा है, 

कारखाना  , हो चाहे फाटक मजाक उसका  उड़ाया जा रहा है,
बड़े बड़े उद्योगपतियों का कर्जा माफ किया जा रहा है,
देखो देश में ये क्या हो रहा है,
किसान की ना कर परवाह उसे गुलाम बनाया जा रहा है,
देखो किसान रो रहा है,
फैलाकर हाथ तेरे समक्ष, कुछ तुझसे मांग रहा है ,
देखो देखो धीरे धीरे गुलाब जल रहा है,
             


                           सुभाष सी. शर्मा

©Subhash.C.sharma गुलाब जल रहा है

देखो क्या हो रहा है, गुलाब जल रहा है,
देश मै मंहगाई की हाहाकार मची है
मै लिख  रहा हु,जो क्या  घटना यह सच्ची है?
मुझे कुछ नजर आ रहा है देखो गुलाब जल  रहा है,

किसान सड़को में कुचल दिया जा रहा है,