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अंबर का आकार समझना दूभर है। जग झूठा बाजार समझना दू

अंबर का आकार समझना दूभर है।
जग झूठा बाजार समझना दूभर है।

मध्यमवर्गी लड़कों का जीवन जैसे,
नाव बिना पतवार समझना दूभर है।

बेकारी महंँगाई में निर्धन जनता,
फंसी बीच मंझधार समझना दूभर है।

राधा सा जो प्रेम में सबकुछ वार दिया,
उन आंँखों का प्यार समझना दूभर है।

कभी जेब में पास नहीं जब कौड़ी हो,
लोगों का व्यवहार  समझना दूभर है।

मजदूरों के जीवन में अवकाश कहांँ,
कैसा है  इतवार  समझना  दूभर  है।

वृद्ध ऋणी मजदूर पिता एक लड़की का,
है  कितना  लाचार  समझना दूभर है। #मौर्यवंशी_मनीष_मन #जीवन #मध्यमवर्गीय #किसान #मजदूर #मजदूर
अंबर का आकार समझना दूभर है।
जग झूठा बाजार समझना दूभर है।

मध्यमवर्गी लड़कों का जीवन जैसे,
नाव बिना पतवार समझना दूभर है।

बेकारी महंँगाई में निर्धन जनता,
फंसी बीच मंझधार समझना दूभर है।

राधा सा जो प्रेम में सबकुछ वार दिया,
उन आंँखों का प्यार समझना दूभर है।

कभी जेब में पास नहीं जब कौड़ी हो,
लोगों का व्यवहार  समझना दूभर है।

मजदूरों के जीवन में अवकाश कहांँ,
कैसा है  इतवार  समझना  दूभर  है।

वृद्ध ऋणी मजदूर पिता एक लड़की का,
है  कितना  लाचार  समझना दूभर है। #मौर्यवंशी_मनीष_मन #जीवन #मध्यमवर्गीय #किसान #मजदूर #मजदूर