नज़रिया बख़ूबी जानी है हमने, हर हरी शाख की बनावट, और देखी है करीब़ से, खिलते फूलों की मुस्कुराहट, अंदाज़ा भी है हमें, छिपे कांटों की चुभन का, और जानते हैं हम, हर लुभावने फल की कड़वाहट। नहीं कमज़ोर इतना ये पेड़, के उखड़ जाए किसी तूफ़ान के बाद, मुसीबतों को झेलकर ही मजबूत बनी, इसकी जड़ों की बुनियाद, पर हो सकता है कभी, इसे बंदिश-ए-हालात झुकना पड़े, तब ना ये हंसेगा, ना मिला पाएगा, झूमती बहारों से हाथ। फिर भी ये वक़्त याद आएगा, जब है यहाँ सुहावनी छाँव, उम्मीद है कोई रास्ता निकलेगा, भले ही हों आज के दलदल पे कल के पाँव, लकीरें पत्तों की नहीं करतीं, कभी पेड़ की क़िस्मत का फ़ैसला, नसीब तो तय करेगी आँधी के भंवर में, पेड़ की हिम्मत की नाव। हर झुकी हुई दरख़्त करती है यहाँ, हर वक़्त मोहब्बत को सलाम, और इसके दिल के हर पत्ते पे है सिर्फ़, एक ही बहार का नाम, क्या उम्र होगी पेड़ की, लोग ये हमसे पूछते हैं, हम नादान नहीं हैं, पर फिर भी हैं इस जहाँ में बदनाम। रिश्ते भी पेड़ों के जैसे होते हैं, जहाँ उनकी बुनियाद से तय होती है उनकी मजबूती। एक नज़रिया उसी ख़्याल पे। #नज़रिया #yqbaba #yqdidi #yqquotes #yqtales #yqlove