एक पत्र बीती जिंदगी के नाम (कृपा अनुशीर्षक में पढ़े) 27 दिसंबर, 2020 लुधियाना, प्रिय जिंदगी, तुमसे कुछ नहीं छुपा, तू हर वक्त मेरी हमराज़ है, मेरा ही गीत और मेरा साज़ है। तुम संग आपबीती और भयावह अनुभव बताना चाहती हूं। फरवरी 2020 में चीन से आई इस कोरोना वायरस जैसी महामारी या'पैनडेमिक को वैश्विक ख़तरा घोषित कर दिया था। अजीब अफरा-तफरी बहशत दुःख भरा, दर्दनाक माहौल चारों ओर था। बंद रेल यात्रा एवंम बंद बस यात्रा से सारे लोग परेशान थे कभी-कभी तो गरीबों को पदयात्रा भी करनी पड़ी। पहलो-पहल तो लोगों को इस महामारी के बारे में इतनी जानकारी ना होने से मरीजों की संख्या बढ़ती गई जो कि हमारे उच्चतम पद पर विराजित हस्तियों के लिए बहुत बड़ी चुनौती थी। जिस कारण उन्होंने संपूर्ण रूप से लॉक डाउन का निर्णय लिया और हमें अपने घरों में ही रहने का आदेश दिया। इस बीमारी के लक्षणों का जगह-जगह साइन बोर्ड्स भी लगवाए गए और सेलिब्रिटीज ने आगे आकर इसका प्रचार भी किया द्वारा जैसे कि बार-बार हाथ-धोना, मुंह पर मास्क लगाए रखना, खांसी करते वक्त मुंह पर हाथ रखना के साइन बोर्ड्स जगह-जगह लगवाएं ताकि लोगों को इस महामारी से जागरूक करवाया जा सके ताकि घरों में बंद रहकर ही हम अपने काम पर ध्यान केंद्रित करें। सभी उद्योगपतियों के व्यापार, बच्चों के स्कूल दी बंद करवाई जाए ताकि इस बीमारी को रोका जा सके। परंतु किसी ने इस महामारी को गंभीरता से नहीं लिया जिस कारण संक्रमित लोगों की संख्या में उछाल आने लगा।