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रात भी वीरानी सी लगने लगी सुबह का सुकून भी खो गय

रात भी  वीरानी सी लगने लगी
सुबह का सुकून भी  खो गया 

जागता भी हूँ तेरी यादों  से
सोता भी हूँ तेरी  यादों   में
तू मेरे रग रग में  है तू मेरे रग रग में  है
पर नसीबों में नहीं । 

तुझे चाहा भी, तुझे पाया भी 
पर  इज़हार  कर न  सका
क्योंकि   तू मेरे रग रग में  तो थी
पर नसीबों में नहीं 
पर नसीबों में नहीं । 

*** silent love*** रात भी  वीरानी सी लगने लगी
सुबह का सुकून भी  खो गया 
जागता भी हूँ तेरी यादों  से
सोता भी हूँ तेरी  यादों   में
तू मेरे रग रग में  है तू मेरे रग रग में  है
पर नसीबों में नहीं । 

तुझे चाहा भी, तुझे पाया भी
रात भी  वीरानी सी लगने लगी
सुबह का सुकून भी  खो गया 

जागता भी हूँ तेरी यादों  से
सोता भी हूँ तेरी  यादों   में
तू मेरे रग रग में  है तू मेरे रग रग में  है
पर नसीबों में नहीं । 

तुझे चाहा भी, तुझे पाया भी 
पर  इज़हार  कर न  सका
क्योंकि   तू मेरे रग रग में  तो थी
पर नसीबों में नहीं 
पर नसीबों में नहीं । 

*** silent love*** रात भी  वीरानी सी लगने लगी
सुबह का सुकून भी  खो गया 
जागता भी हूँ तेरी यादों  से
सोता भी हूँ तेरी  यादों   में
तू मेरे रग रग में  है तू मेरे रग रग में  है
पर नसीबों में नहीं । 

तुझे चाहा भी, तुझे पाया भी
amitkumar7707

Amit Kumar

New Creator