दिल के एक कोने में तेरी "तस्वीर" सजा रखी है उसी कोने में मैंने एक "दीपक" जला रखा हैं निकल कर "तस्वीर" से मिलने तू रोज़ आती हैं चाहत के नए-नए "अफ़साने" तू रोज़ सुनाती है मैंने तेरे ख्वाबों में अपना "आशियाँ" बना रखा है दिल में तेरी चाहत का एक "फूल" खिला रखा हैं दिल के कोने से आवाज़ "प्रेममयी" एक आती हैं लगा "गले" मुझे,आकर पहलू में तू बैठ जाती हैं ♥️ Challenge-567 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।