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दिल के पुराने “इल्ज़ाम-ए-मर्ज़” , ने रुखसत नहीं ल

दिल के पुराने “इल्ज़ाम-ए-मर्ज़” , 
ने रुखसत नहीं ली ।
 तुमने , उसपे नए #इल्ज़ामात की पट्टी चढ़ा दी । 
और ‘ज़ख्म’ फिर से हरे कर दिए ।
फिर “शाम” को आए तो कहा सुबह को यूं ही 
रहता है सदा आप पर #इल्ज़ाम हमारा ही आया 
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻

©Manpreet Gurjar
  #life