शब्द- जलमग्न(submerged) सूरज निकला हुआ सवेरा, धरा है नीली अंबर नीला! गर्जे मेघा गिरता पानी, जलमग्न हो गई धरती सारी!! भंवरे गुनगुन करते जाते, कुमुद कुसुम का हाल सुनाते! प्रकृति आज बनी है दुल्हन, देखो मोर संग पपीहा नाचे!! कोयल मुख से राग सुनाती, जगत प्रेम के गीत है गाती! सर-सर सर-सर गिरते झरने, कल-कल करती नदियां सारी!! हरी पीली नीली तितली, सज-धज कर है घर से निकली! मधुमक्खियां शहद बनाती, भिन-भिन भिन-भिन करती जाती!! रंग बिरंगे फूल खिले हैं, बागों में छाई है लाली! देखो कितनी लगती प्यारी, हरी भरी धरा ये सारी!! - ए.पी. बौद्ध 04:00pm. 10.08.2020 #today_special #Mountains