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इक उम्र गुजार दी मैंने इक उम्र के बाद, ज़ि

 इक  उम्र  गुजार  दी  मैंने  इक  उम्र  के  बाद,
ज़िंदगी  मिली  ही  नही  किसी  उम्र  के  बाद,
दिन तो गुजर जाता है मुस्कुरा के महफ़िलों में, 
तन्हा "साँझ"से मिलती हूँ,अक्सर साँझ के बाद!

©सुशील यादव "सांँझ"
  #तन्हा_साँझ...