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सुनो ! तुम तीनों !!! इतनी बदतमीज़ी कर इक दूसरे से क

सुनो ! तुम तीनों !!! इतनी बदतमीज़ी कर इक दूसरे से क्या पाओगे?
प्रेम पर कब तक झूठमूठ का तीखापन चढ़ाये रख पाओगे !
झप्पियां पाओ यार ! कहां जाओगे, फिर आओगे ?
अच्छा ! बताओ मीठी साथ सेल्फी खिचाओगे !!! Just like that only...बस यूँ ही लाइन में लगने का मन कर रहा था आप लोगों के साथ..ऐसे ही लिख दिया बिलकुल इल्लॉजिकल सा...pls bear with this...

"प्रेम एकमात्र सत्य घटना है जिसमें आप चाहकर भी कोई दिखावा नहीं कर सकते"

" प्रेम गिलहरी कीे पीठ पर राम के स्पर्श सा है जिसकी स्पर्श~धारियां सदैव के लिए रह जाती हैं प्रेमियों पर "

दीपक कनौजिया 
        (प्राधुनिक)
सुनो ! तुम तीनों !!! इतनी बदतमीज़ी कर इक दूसरे से क्या पाओगे?
प्रेम पर कब तक झूठमूठ का तीखापन चढ़ाये रख पाओगे !
झप्पियां पाओ यार ! कहां जाओगे, फिर आओगे ?
अच्छा ! बताओ मीठी साथ सेल्फी खिचाओगे !!! Just like that only...बस यूँ ही लाइन में लगने का मन कर रहा था आप लोगों के साथ..ऐसे ही लिख दिया बिलकुल इल्लॉजिकल सा...pls bear with this...

"प्रेम एकमात्र सत्य घटना है जिसमें आप चाहकर भी कोई दिखावा नहीं कर सकते"

" प्रेम गिलहरी कीे पीठ पर राम के स्पर्श सा है जिसकी स्पर्श~धारियां सदैव के लिए रह जाती हैं प्रेमियों पर "

दीपक कनौजिया 
        (प्राधुनिक)