फ़ना इश्क़ में कुछ यूँ फ़ना होते जा रहे हैं इरादे ख्वाबों में मुकम्मल होते जा रहे हैं बना कुछ यूँ बना है इस बार फिर... हीर समझ उनको राँझा होते जा रहे हैं हैरान हैं मुस्कान की चमकान पर कोयल समझ कौवे होते जा रहे हैं लजाकत है कि अलफ़ाज़ इल्म नहीं हया को ही इरशाद समझे जा रहे हैं गिरफ्त हुए हैं इश्क़ में जनाब कुछ यूँ फेहरिश्त में अंतिम समझे जा रहे हैं -एल.जी. लोकेश गुप्ता #poem #shayri #gazal #ishq #fana #muskaan #chamkaan #heer #ranjha #koyal #lajakat #irshaad #janaab #giraft