बरस अस्ठदस बिन प्रियतम बीते, अब आसा मन मे खटके। इतरे बरस क्यो सोय रही ते, उमर जावे झटके। अजहू न भयी कछु देर बावरे, खोल मिलो तन कसके। भक्ति की याहि रीत निगोड़े, अब तो स्याम को भजले। ©Kisori #मेरोप्रियतमकान्हो #मेरोवृन्दावन