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बरस अस्ठदस बिन प्रियतम बीते, अब आसा मन मे खटके। इत

बरस अस्ठदस बिन प्रियतम बीते,
अब आसा मन मे खटके।
इतरे बरस क्यो सोय रही ते,
उमर जावे झटके।
अजहू न भयी कछु देर बावरे,
खोल मिलो तन कसके।
भक्ति की याहि रीत निगोड़े,
अब तो स्याम को भजले।

©Kisori #मेरोप्रियतमकान्हो #मेरोवृन्दावन
बरस अस्ठदस बिन प्रियतम बीते,
अब आसा मन मे खटके।
इतरे बरस क्यो सोय रही ते,
उमर जावे झटके।
अजहू न भयी कछु देर बावरे,
खोल मिलो तन कसके।
भक्ति की याहि रीत निगोड़े,
अब तो स्याम को भजले।

©Kisori #मेरोप्रियतमकान्हो #मेरोवृन्दावन
baisaakshita2496

Kisori

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