White पद्म श्री स्व गोपालदास नीरज जी लिखी हुई कविता: अब तो मज़हब कोई ऐसा भी चलाया जाए जिस में इंसान को इंसान बनाया जाए जिस की ख़ुश्बू से महक जाए पड़ोसी का भी घर फूल इस क़िस्म का हर सम्त खिलाया जाए आग बहती है यहां गंगा में झेलम में भी कोई बतलाए कहाँ जा के नहाया जाए प्यार का ख़ून हुआ क्यूं ये समझने के लिए हर अंधेरे को उजाले में बुलाया जाए मेरे दुख-दर्द का तुझ पर हो असर कुछ ऐसा मैं रहूं भूखा तो तुझ से भी न खाया जाए जिस्म दो हो के भी दिल एक हों अपने ऐसे मेरा आंसू तेरी पलकों से उठाया जाए गीत उन्मन है ग़ज़ल चुप है रुबाई है दुखी ऐसे माहौल में 'नीरज' को बुलाया जाए ©Deepak Kumar 'Deep' #Insaan ko insaan banaya jaye