तेरी रुसवाई का ये खंजर, आज भी मन झकझोर देता है, आज भी मुझको तोड़ देता है। आज तक है तेरे खंजर का असर, मन हुआ बड़ा घायल सा है। जो तेरी गलियों में भ्रमण करता था। मन जो तुझको नमन करता था। आज भी तेरा नाम लेता है। मानने को त्तैयार ही नहीं, की तू मेरा नहीं। तन्हाई का ये मंज़र वीरानी अंदर बाहर। #तन्हाईकामंज़र #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi