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ना जाने क्यूं आज हम थोड़े बेज़ार से है, यहां पर जो

ना जाने क्यूं आज हम थोड़े बेज़ार से है,
यहां पर जो लोग है कमबख्त बड़े ही बेकार से  है,
इश्क़ की गहराइयों में वो अब तक डूबे ही नहीं ,
और यहां हम है कि तुम्हे पाने को बड़े ही बेकरार से है।

ऐसी कौन सी गुस्ताखी हो गई हमसे,
बदले बदले से जो आजकल आपके किरदार से है,
तड़प है कि तू पूछले हमसे हाल हमारा,
और हम कह दे तू दूर है तो थोड़े से बीमार से है।

यह जो सुराही में पानी है बड़ा ही अजीब है,
गर हो आंखो में तो इश्क़ का हबीब है,
लोग कहते है तू मुझसे दूर बहुत है,
वो क्या ही जाने तू मेरे दिल के कितने करीब है।❤️

©Vinay Rajput
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