शब्दों से सुन्दंर कोई शहर बस गयाँ। उस शहर में ईक फूल खिला और अकेला रह गयाँ।। सुंन्दंरता क्या होती है। वो गुलाब था जो काँटों के साथ रहकर भी तालमेल कि कला सिखा वो हर ईक कि प्रेमकहानी कह गयाँ।। मालूम था उस गुलाब को जिस दिन टूटेगा वो डाली से। अलग हो जायेगा ।। वो, ईक दिन उस बँगिचे के माली से ।। जिसने उसे सवाँरा था। हाँ कब अब जब वो डाली से टुट गया।। मानो वो खुद से और प्रकृति से रूठ गया। सपना सुन्दंर सा खुश्बू बनकर सबके दिलों मे छुट गयाँ।।. (@@;)Neetu SharmA✍ गुलाब और स्नेंह...🌹🌹🌹🥀🌷🌷🌷.....🌹🌹special mention my all Nojoto members🌹....#nojotoapp#nojotopoetry#nojotolove#nojotomotivational#shabdanchal#kavya#neetukiKalamSe#mypoetry#share#follow#followers