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"कुछ अल्फाज़ रह गए" ढलते दिन के संग अपने घरों की

"कुछ अल्फाज़ रह गए"

ढलते दिन के संग अपने घरों की ओर लौट जाना,
राहों में यारों संग, बीती कितनी ही बातों को दोहराना,
कुछ देर कहीं रुककर चाय की चुस्की लगाना, 
उन चुस्कियों संग आते-जाते लोगों का मज़ाक बनाना, 
दिन भर की थकान को कुछ यूँ भूल जाना, 
साथ में बैठकर बेबुनियाद बातों पर ठहाके लगाना, 
इक भांड चाय का दो घंटों तक साथ निभाना, 
अपने सारे ग़मों को उस सांवले साथी संग गिट जाना, 
कुछ देर फिर से राहों पर चल इक दरवाजा खटखटाना, 
भीनी सी चहरे पर मुस्कान लिए दरवाजे को खोलने आना,
अपना बस्ता रख, चहरे को भिगो कुर्सी पर बैठ जाना,
समय का चलते जाना और फिर रात का थम जाना, 
शांत रात बिन कोई आवाज़, पंखे का बस खड़-खड़ शोर मचाना, 
मेरा दीवारों को ताकना, उनमे आँखों को गड़ा कुछ यादों को नापना, 
उस दौर में पहुँच जाना और फिर मन ही मन गुनगुनाना, 
ख़ूबसूरत उन पलों संग सारी रात इक कहानी दोहराना, 
तकिये को बाहों में लिए महसूस इश्क़ को करना, महफूज़ खुद का हो जाना,
लफ्ज़ इतने कि हर रात तकिये का सुनते सुनते भीग जाना, 
सुनो कुछ बाकी न रहा बस "कुछ अल्फाज़ रह गए" कभी वक़्त मिले तो सुनने चले आना|| It's something which came after a long time and it is not the regular way I write.. So if you have time do comment.. Your views are welcome 

#कुछअल्फाज़ #yqdidi #vineetvicky #ufvoices #junespirits #हिंदीकविता #चलेआना
"कुछ अल्फाज़ रह गए"

ढलते दिन के संग अपने घरों की ओर लौट जाना,
राहों में यारों संग, बीती कितनी ही बातों को दोहराना,
कुछ देर कहीं रुककर चाय की चुस्की लगाना, 
उन चुस्कियों संग आते-जाते लोगों का मज़ाक बनाना, 
दिन भर की थकान को कुछ यूँ भूल जाना, 
साथ में बैठकर बेबुनियाद बातों पर ठहाके लगाना, 
इक भांड चाय का दो घंटों तक साथ निभाना, 
अपने सारे ग़मों को उस सांवले साथी संग गिट जाना, 
कुछ देर फिर से राहों पर चल इक दरवाजा खटखटाना, 
भीनी सी चहरे पर मुस्कान लिए दरवाजे को खोलने आना,
अपना बस्ता रख, चहरे को भिगो कुर्सी पर बैठ जाना,
समय का चलते जाना और फिर रात का थम जाना, 
शांत रात बिन कोई आवाज़, पंखे का बस खड़-खड़ शोर मचाना, 
मेरा दीवारों को ताकना, उनमे आँखों को गड़ा कुछ यादों को नापना, 
उस दौर में पहुँच जाना और फिर मन ही मन गुनगुनाना, 
ख़ूबसूरत उन पलों संग सारी रात इक कहानी दोहराना, 
तकिये को बाहों में लिए महसूस इश्क़ को करना, महफूज़ खुद का हो जाना,
लफ्ज़ इतने कि हर रात तकिये का सुनते सुनते भीग जाना, 
सुनो कुछ बाकी न रहा बस "कुछ अल्फाज़ रह गए" कभी वक़्त मिले तो सुनने चले आना|| It's something which came after a long time and it is not the regular way I write.. So if you have time do comment.. Your views are welcome 

#कुछअल्फाज़ #yqdidi #vineetvicky #ufvoices #junespirits #हिंदीकविता #चलेआना