उल्फ़त-ऐ-ज़िन्दगी उतार के ला,टंगी है खूटी पर ज़िन्दगी उतार के ला, एक अरसे -से जो पक रही जो ख़ाब के चूल्हे पर चासनी वो मीठी चासनी उतार के ला, हवा बोली आसमां से जा पानी उतार के ला, उल्फ़त-ऐ-ज़िन्दगी उतार के ला। #nojotopoem#