मेरी एक बात तुमको चुभ गई कभी मेरी भी तुम सोचो कि कितनी बार मेरी रूह को तुमने कुरेदा है जिसने खुद को खोया है तेरी ख़ुदाई में सिफर हो कर भी जो बस मुस्कुराया है हर बार, फिर एक बार कसौटी वो ही क्यूँ तोले कंधों का करे वो ज़िक्र जिसने रीड़ ना समझी सुलगता था बदन जिसका उसकी पीड़ ना समझी वो भी इंसा है दिल उसका भी धड़कता है जिसे चिलमन में चिन कर तुम चले आए #mera_aks_paraya_tha #मेरा_अक्स_पराया_था